किस किस को सुनाएं......!!!
ख़ुद कि ज़िंदगी के किस्से, किस किस को सुनाएं,
अज्नबियों कि महफिल में, क्यों रुसवाई करवाएं!
नए ख्वाब, अब शायद, नयी कहानियाँ दिखलायें,
नए ख्वाब, अब शायद, नयी कहानियाँ दिखलायें,
कोई बताये, अब किस पत्थर पे जा के सर झुकायें!
नयी राहें, नयी मंजिल, चाहे कहीं भी ले जाएँ,
डरता हूँ, कहीं उन्से दोबारा नज़रें न मिल जाएँ!
वक़्त कि करवटें, कहीं फिर, हाथ से छूट न जाएँ,
काश यूं भी होता, हाथ कि लकीरें फिर से लिख्वाएं!
इंतज़ार के किनारे न जाने, किस किस से मिलावाएं,
पशेमां रूह कि अस्तियाँ, अब किधर जाके जलायें!
दिल कि धड़कनें अब तक, आपको आवाज़ लगाएं,
उसकी मर्ज़ियों कि ज़िंदगी, कब तक जीते जाएँ!
फ़साना सुननेवालों को, ज़ख्म क्यों दिखलायें,
इत्ने नादां नहीं, कि उनकी याद से अपना दामन जलायें!!
!*अमित*!
2 comments:
Bhai Sahi ja rahe ho.. Likhte raho...Phir kitaab chaapenge...Njoy
Ashwani
Awesome writings!! ek dam dil se :)
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