.......सिर्फ़ मुक़द्दर है !!!
अपने पानी में पिघ़ल जाना बर्फ़ का मुक़द्दर है,
किसकी ज़िंदगी में ख़ुद का होना , सिर्फ़ मुक़द्दर है!
कोई रौशनी में जागे, और किसी का आग में जलना,
पर श़म्मा का रात भर जलना , सिर्फ़ मुक़द्दर है!
बहते पानी की रफ़्तार को असां नही , रोक पाना ,
आँखों में अश्क छुपा लेना , सिर्फ़ मुक़द्दर है!
उन्हों ने कहा , इक सांस में , इक साल भुला देना ,
दिल में उनकी यादें बिठा लेना , सिर्फ़ मुक़द्दर है!
उनके हर जवाब में इंशाल्लाह का ज़िक्र होना ,
सोचना क्यों अपना अंजाम -ए -उल्फत , सिर्फ़ मुक़द्दर है!
अपने साये को निहारने की आदत सी हो जाना ,
ख़ुद की तन्हा़ई से दोस्ती कर लेना , सिर्फ़ मुक़द्दर है!
किसी कि खा़मोशी , असां नही समझ पाना ,
इक अधूरी सी मुलाक़ात का तस्स्वुर , सिर्फ़ मुक़द्दर है!!
!*अमित*!